हवा का झोंका
हवा का झोंका
अब बदलते मौसम का अंदाज
बहुत ही रंग लाता है।
फिर पूरे वायु मंडल में
घटाओ को बिखेर देता है।
तभी तो पेड़ पौधे फूल
सभी लहरा उठते है।
और हवाओं के झोंको से
बिखेर देते है खुशबू को।।
नजारा देख ये जन्नत का
किसी की याद दिला रहा।
नदी तालाब बाग बगीचा आदि
अपनी भूमिकायें निभा रहे।
मानो स्वर्ग में हम अपने
महबूब को घूमा रहे।
और मोहब्बत के बारे में
बैठे बैठे सोचे जा रहे।।
वर्तमान में भूत की बातें
बैठकर अकेला सोच रही हूँ।
और सपनों के सागर की
कल्पनाओं में बहा रही हूँ।