हुल के फूल
हुल के फूल
हुल के फूल
घिरे चारदीवारी के अंदर
खिलते नहीं है
वह तो
तुम्हारे और मेरे ह्रदय में
भी खिल सकते हैं।
जब तुम्हारी
आँखों के सामने
लोगों पर अत्याचार हो,
तुम्हारी पत्नी और बेटी को
उठाकर ले जाते
कुछ बुरा सोचकर
पहाड़-पर्वत, नदी-नाला
और घर-दुवार से भी
तुम्हे बेदखल होना पड़े।
तुम्हारे धन-दौलत
लूट लेंगे
विचार और सोच पर भी
फुल स्टॉप लगाएंगे
तब अपने आप
देह का खून
गर्म हो जायेगा।
नरम हथेली भी
कठोर मुट्ठी में बदल जायेगी
कंघी किये सर के बाल भी
खड़े हो जायेंगे
और मुँह से जोर
आवाज़ निकल जाएगी
हुल, हुल, हुल
तब तुम्हारे चट्टानी ह्रदय में
हुल का फूल खिलेगा।