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Vishal patil Verulkar

Drama

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Vishal patil Verulkar

Drama

हस्य

हस्य

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क्यों हंसते हो हमें इस कद्र देखकर

जैसे कभी देखा नहीं कार्टून कोई

बागों में भी तो भंवरा होता है कितना काला

फिर भी रहता है मस्त पीकर मधु का प्याला।


यूं ही ढोल नगाड़े ना बजाओ

तुम हमारी हसी ना उड़ाओ

जाओ बागों में तितली पकड़ आओ


उनके पीछे भाग कर उनको उड़ाओ

हमें नहीं आता हास्य पर लिखना

तुम सारे मिलकर हमारी ही हंसी उड़ाओ।


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