Vishal patil Verulkar
Abstract
जिंदगी क्या है
एक ख्वाब ही तो है
जैसे ख्वाब आंखें खुलते ही
टूट जाता है और
पूरा भी नहीं हो पाता
उसी तरह
आंख रूपी दिल की धड़कन
खुल जाती है और जिंदगी
ख्वाब की तरह
टूट कर बिखर जाती है।
शब्द
जिंदगी
प़्यार
वीर सपूतों
याद
चांद
दुआ
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