हसरतें पूरी नहीं होती
हसरतें पूरी नहीं होती
हसरतें पूरी नहीं होती क्यों,
जब यह एक पूरी हो जाती।
लालच मन में फिर आता है,
बस अब ये आखिरी पूरी हो।
हसरतें पूरी सबकी होती नहीं,
गरीब और मध्य वर्ग की नहीं।
साहब ये इंसान की हसरतें है,
सुरसा की तरह बस बढ़ती है।
ये इंसान की हसरतें मतलबी,
इंसान को मतलबी बनाती है।
हसरतों को नियंत्रित करना है,
अनियंत्रित हुई तो गड़बड़ हुई।
