हृदय परिवर्तन
हृदय परिवर्तन
गुमसुम था वो बालक
ख्वाबों में खोया था वो शावक
कुछ करने की थी ललक
एक दिन अपने बापू से बोला वो बालक
बापू तू सपने देख,पूरा मैं करूंगा
टाइम आने दे नाम ऊंचा मैं करूंगा
ख्वाबों को हकीकत में बदलूंगा
अंधियारे की रौशनी बनूंगा
जो सपने मुझमें जिया करते हो
वो पूरे मैं करूंगा
टाइम आने दे बापू,नाम ऊंचा मैं करूंगा
खुद के लिए सपने देखना आपने
मेरे जन्म लेने के साथ ही छोड़ा था
मै अपने ही सपने पूरे करूं
उसी दिन मेरा ये कर्तव्य बना था
जैसे जैसे मैं बड़ा होता गया
सपना बोझ सा लगने लगा था
शायद कभी आपकी नज़रों से देखा ही ना था
इसलिए कभी वक़्त के साथ कदमताल हुआ ही ना था
लेकिन अब ऐसी भूल नहीं करूंगा बापू
अब वक़्त ही मेरा साया होगा
दबे सपनों का अब काया पलट होगा।