हृदय-भेदी बाण
हृदय-भेदी बाण
चल उठा ले अपने अस्त्र-शस्त्र
उसके हृदय-भेदी बाण काटने को ,
इस प्यार-मोहब्बत की दुनिया में
आजकल दिल-भेदी बाणों से ही
मृत घोषित करते ।
जो संयम,धैर्य, प्रेम के बाणों से
दर्द-देयी बाण काटते,
वे ही जीवन-पथ पर विजय पाते ।
चित्त चीर जितने बाण निकलते,
उतने ही इस जीवनशाला में
परिपक्व हो जाते ।
अपने आप से संघर्ष कर,
अग्रसर हो, दर्द-देयी बाण काटते जाते ।
तरकश में हर दर्द मिटाने के शर संचित
पर
छल के बाणों को कैसे काटें !
कहाँ से लाएँ, छल के दर्द को
काटने वाले तीर ?
दिल छलनी कर दिया,
धड़कना भी भूल गया,
पर साँसे चल रही ।
अब कौन-सा शस्त्र वार करे ?
प्रेम, संयम,धैर्य, निष्ठा,विश्वास
पूजन-अर्चन कोई शस्त्र कार्यरत नहीं।
मृत घोषित करने से पूर्व ,
शव-शय्या पर लिटाने से पूर्व ,
दिल धड़का, तो कर्म का लेप
लगाते ही, जीवित हो उठा ।
कर्म , कर्म और कर्म
जीवित रहने का एक मात्र शस्त्र ।