कर्म , कर्म और कर्म जीवित रहने का एक मात्र शस्त्र । कर्म , कर्म और कर्म जीवित रहने का एक मात्र शस्त्र ।
हे कविता ! तुम हो शब्द ब्रह्म अर्थों के परम अर्थ जिसका आश्रय पाकर वाणी होती ना व्यर्थ। हे कविता ! तुम हो शब्द ब्रह्म अर्थों के परम अर्थ जिसका आश्रय पाकर वाणी होत...
ऐसे में क्या हमें अभी भी इस मिट्टी की शक्ति का एहसास नहीं है ऐसे में क्या हमें अभी भी इस मिट्टी की शक्ति का एहसास नहीं है
सनातनी संहिताओं को टटोलो राज है इसमें गड़ा हुआ। सनातनी संहिताओं को टटोलो राज है इसमें गड़ा हुआ।
लिंग जाति मजहब के भेद बिन , सबको सम अधिकार मिले । लिंग जाति मजहब के भेद बिन , सबको सम अधिकार मिले ।
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