संविधान और हम
संविधान और हम
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संविधान ने हम सबको ,
अधिकार अस्त्र वो दान किया।
बढे सहारे हम जिसके ,
जीवन का ढंग सुधार लिया ।।
लिंग जाति मजहब के भेद बिन ,
सबको सम अधिकार मिले ।
शिक्षा स्वास्थ्य और बुनियादी ,
सेवाएं पा सभी खिले ।।
भाग्य जुबां अरु काया भी जो ,
सदियो तक थी रही गुलाम ।
संविधान ने दी आजादी बन ,
स्वतन्त्र पाया विश्राम ।।
शासन की चाबी भी हम जन ,
के ही दे दी हाथो में ।
चुनो हितैषी लोकतंत्र का ,
मत फंसो रसीली बातों में ।।