STORYMIRROR

Amit Kumar

Abstract

4  

Amit Kumar

Abstract

हर युवा हिन्दोस्तां

हर युवा हिन्दोस्तां

1 min
487

सिंह की है गर्जना, हर युवा हिन्दोस्तां,

है कदम पीछे अभी, पर नहीं कमजोर युवा,

भीड़ में चलते नहीं, देख लो मेरे निशां,

गौर से तुम देख लो, टूटी भी मिट्टी है वहां,


पत्थरों ने भी बनाया, रास्ता जिसके लिए,

टक्करें जो मार दें, धरती भी घुस जाए वहां,

शोलों से डरते है नहीं, खेलती थी बचपना,

आग, पत्थर संकटें भी जूझती इनसे यहां।


हम नहीं झुकते कभी, बारिशें हो या तूफां,

तारीखें गाती सदायें, तोड़ती खुद का गुमां,

राजशाही है हमारी, है सनातन जो यहां,

दुश्मनों को ख़ाक करना, जानती है ये युवा।


हम हैं वंशज आर्य के, सबको दिखाते रास्ता,

मार्गदर्शन थी सदा, आर्यों की जो दास्ताँ,

प्रेम हो या ज्ञान हो, या हो तरक्की का सफर,

हर जगह आगे रहा, हर युवा हिन्दोस्तां।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract