हर हाल में
हर हाल में
जीवन के संग्राम को
जीतेंगे हम हर हाल में
आंधी आये या तूफान,
टकराएंगे हम चट्टान से
टूटी हुई कश्ती से तैरेंगे
किसी से हम न डरेंगे
जीवन के विषपान में,
मुसकुरायेंगे हर हाल में
जीवन के संग्राम को
जीतेंगे हम हर हाल में
नहीं रोयेंगे हम जहान में
खिलाएंगे फूल रेगिस्तान में
जीवन के उफान में,
हम तैरेंगे अग्नि स्थान में
जिंदगी के संग्राम को
जीतेंगे हम हर हाल में
लड़ेंगे तब तक
जब तक है दम
बनेंगे हम साखी दीपक
तम के हर स्थान पे
टूटेगा भ्रम, जीतेगा श्रम
हम उड़ेंगे आसमान में
दौड़ेंगे हम दलदल पर
जितना सतायेगा डर
जिंदगी के इस गांव में
बनेंगे कमल हर हाल में