हो तेरा संकल्प न्यारा
हो तेरा संकल्प न्यारा
बड़ चलो प्रगति पथ पर ,
हो तेरा संकल्प न्यारा।
उदधि की उत्ताल तरंगें,
भर रही है नव उमंगें।
लहरें देती हैं निमंत्रण,
बढ़ो नाविक ले नया प्रण।
पवन हो प्रतिकूल,
पर नाविक कब है हारा।
समंदर में अथाह हो जल,
पतवार तू चलाता चला चल।
उठती लहरों से डरो मत
बाजुओं में भरो हिम्मत।
साहस का दामन थाम देखो
पास दिखता है किनारा।
बढ़ चलो...
गगन में घहराते बादल,
हवाएं , उन्मत्त पागल।
डरा रही हो आंधियां,
कड़कती हो बिजलियाँ।
उन्मुक्त पक्षी कब रुका,
पंख है उसका सहारा।
बढ़ चलो प्रगति पथ पर,
हो तेरा संकल्प न्यारा।
तम अगर गहरा रहा हो,
गगन अंधियारा भरा हो।
सितारे सब छिप गए हो,
चिराग सारे बुझ गए हों।
देखो, सूरज की किरणों
ने रश्मिरथ को है उतारा।
बढ़ चलो प्रगति पथ पर
हो तेरा संकल्प न्यारा।
झूठ ने सच को है घेरा,
पाखंड, प्रपंच का है डेरा।
अभिमन्यु - सा लड़ते रहो
चक्रव्यूह का भेदन करो।
हार सकता नहीं , कभी वह
विजय ही हो जिसका नारा।
बढ़ चलो प्रगति पथ पर,
है तेरा संकल्प न्यारा।
गीता ज्ञान का नित्य चिंतन
नीति पथ पर धर चरण।
अविद्या - तम का हो विनाश,
सत्य का फैला हो प्रकाश।
जीना उसी का है सार्थक,
जिसने इन्हें जीवन में उतारा।
बढ़ चलो प्रगति पथ पर
हो तेरा संकल्प न्यारा।
शिव समर्पित तन हो मेरा,
सत्य शोधित मन हो मेरा।
तपस्वी की हो तितीक्षा,
प्रखरता की हो परीक्षा।
कल्याणकारी पथ के राही
चला निरंतर सबका प्यारा।
बढ़ चलो प्रगति पथ पर
हो तेरा संकल्प न्यारा।