हो अगर इंसां
हो अगर इंसां
हो अगर इंसान तुम तो
इंसानियत की शम्मा जलाइए।
जो आग लगी है नफरत की
मुहब्बत से उसको बुझाइए।
इस दौरे वतन में अशांति है
यहां अमन चैन का बाहर लाइए।
यहां आतंक और हैवानियत है
सद्भावना भाईचारा से भगाइए।
बोझ मत लो गुनाहों का
ईमानदारी के फूल खिलाइए।
कांटे बेईमानी के न बोईए
खुशयां खुश्बू को महकाइए।
जो देश के लिए फना है
उनको अपने दिलों से लगाइए।
जो गैरों के लिए जीते हैं
उनको दिल से अपना बनाइए।