हमने जीना सीख लिया
हमने जीना सीख लिया
मंथन से निकला अमृत -विष,
सबकी बनी अमृत अभिलाषा
परमार्थ कल्याण शिव ने,
लिया कंठ हलाहल सारा
गिरधर प्रेम की प्यासी मीरा,
पी गई सहर्ष विष का प्याला
उसी धरा के प्राणी हमने,
गरलपान भी सीख लिया
हमने जीना सीख लिया
संकट में काम जो आये,
सब सामान मेरे थे
जीवनरक्षक, जीवनदायक
सारे हाथ अपने थे
जिसे बनाया कभी ना हमने,
उसे बनाना सीख लिया
महामारी से डटकर लड़ना,
आत्मनिर्भरता सीख लिया
हमने जीना सीख लिया
21 वीं सदी हमारी हो,
सपना नहीं,जिम्मेवारी है
सारे मुल्कों पर अभी,
भारत का पलड़ा भारी है
स्वदेशी का मंत्र स्मरण,
उच्चारण फ़िर से सीख लिया
उत्पादों को बेहतर बनाना,
विश्वस्तरीय करना सीख लिया
हमने जीना सीख लिया
हाथ जोड़कर अभिवादन,
दुनिया ने हमसे सीख लिया
ढके हुए चेहरे नहीं दिखते,
आँखों से हँसना सीख लिया
हमने जीना सीख लिया।
