हमारी बेटियां
हमारी बेटियां
हमारे घरों की लड़कियां,
रंग बिरंगी सी चिड़ियां,
सबके इशारों पर नाचती,
लगती जैसे कठपुतलियां,
छोड़ अपने ख्वाब नाचती,
घर और आंगन ये कठपुतलियां
पर नहीं, अब तो कठपुतलियां
सिर्फ घर में नहीं रहती हैं
अब तो बाहर भी नाचती
रंग बिरंगी तितलियां,
दोहरी जिंदगी जीती हैं
घर बाहर खटती हैं,
पुरुषों के बनाए पिंजरे में
पंख फड़फड़ाने को मचलती है,
अपने पैरों पर खड़ी होकर भी
दूसरों के इशारों पर नाचती हैं,
खोल नहीं पाती खिड़कियां,
यह रंग बिरंगी तितलियां।