रिहाई
रिहाई
दहेज के दावानल से
बचा लो जीवन,
लाडली है वो
नहीं कोई गिफ्ट का
आइटम,
जो तोली जाती है
हरबार बुलाकर
रिश्तेदार।
जो बहू जितना
दहेज लाती है
उतना ही,
सम्मान पाती है।
और हर बार
बौनी रह जाती है
उसकी योग्यताएं
उसके गुण
और उसकी क्षमताएं।
पढ़ा लिखा कर
उसे अपने पैरों पर
खड़ा करो और
इस दहेज के
दावानल से,
बेटी को रिहा करो।।
