हमारे वीर
हमारे वीर

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ग़मो का अंधेरा भी उसके आगे टिक ना सकें,
वो तो थे स्वाभिमानी जो कभी बिक ना सकें।
वो रहते हैं चाहने वालों के दिल में,
ऐसे वीरों से पापी कभी छिप न सकें।
खुद्दारी थी उनकी आँखों में,
जो इतिहास से कभी मिट ना सकें।
चंद लम्हे भी काफी है जिनके आगे,
जिनके सामने दुश्मन कभी टिक ना सकें।
ऐसे वीरों को मिलती है वीरगति,
दुश्मनो की गोलियों से कभी मिट ना सकें।
अपने खून से लिखा गयें हमारी सलामती,
और हम उनकी याद में कभी
एक किताब भी लिखा ना सकें।
दुनिया के लिए वो इस दुनिया में ना सही,
पर उनका बलिदान कभी मिट ना सकें।