हम हैं काव्यप्रेमी
हम हैं काव्यप्रेमी


हम हैं सब काव्यप्रेमी
काव्य हमारा काम
बिना काव्य के कभी
नहीं करते हम आराम।
भावना मन की शब्दों में
उतर आती है कलम से
शब्द सागर बनता है
तैरते है हम मन से।
कभी यहाँ तो कभी वहाँ
नहीं है एक ठिकाना
जो जँचता है मन को
लगता है उस पर निशाना।
सही भाव को प्रकटना
है नहीं उतना आसान
कल्पना शक्ति से अपने
भरते हैं हम उँची उड़ान।