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Manik Nagave

Classics

2.5  

Manik Nagave

Classics

हिंदी भाषा

हिंदी भाषा

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हिंदी भाषा जनमानस की

संस्कृतसे जन्मी है तू।

इसलिए तू हमारी भाषा है,

देवनागरी में लिपीबद्ध है तू।


समझेने में आसान है तू,

बोलने में भी सहज है तू।

भाव अपना प्रकट करते है,

आदानप्रदान की भाषा है तू।


साहित्य भी तेरा प्रचुर मात्रा में

ऊभरी है तू साहित्यिकों से

लायी सामाजिक परिस्थिती,

सामने सबके अपनी कलम से


तू है जैसे माथे की बिंदी,

शोभायमान सबको करती।

लचक है तेरी लिखावट में,

सुंदर तेरा रुप सलोना दिखाती।


राजभाषा का स्थान मिला है,

दिखती सरकारी कागजों में।

पढते हैं तुझे बड़े चाव से,

बच्चे सारे अपने स्कूलों में।


करना संवर्धन तेरा बहना,

काम हमारा जरुरी है।

नहीं कहेंगे अलविदा तुझको

आगे तुझे हमें बढ़ाना है।


करेंगे प्रसार तेरा दिलसे,

महानता तेरी समझायेंगे।

भारत के साथ दुनिया में,

तेरी ही प्रशंसा हम गायेंगे।


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