माँ
माँ


माँ एक ऐसा शब्द
जो एहसास दिलाता सबको
की वे है अमीर दुनिया भर में...
क्योंकि साया माँ का है उनपर
जन्नत है उसके पैरों में...
माँ किसी धर्म, पंथ की नहीं
वो तो पूरे विश्व की माँ है।
माँ के बिना अधूरा इन्सान
माँ के साथ है सारा जहान..
करते हैं हम दुनिया मुट्ठी में
गर करते हम माँ का सम्मान।
मुश्कीलें आसान हो जाएगी,
दुआ माँ की काम आएगी।
हर हाल में खुश रहती है,
बच्चों पे दामन प्यार का रखती है।
मायका हो या हो ससुराल,
इज़्ज़त दोनों की रखती,
हो कैसा भी हाल।
फर्ज़ उसका अदा करती है,
खुद जिल्लतें सहती है।
प्रेरणादायी सबके लिए होती है,
जीवन जीने की आशा जगाती है।
रहे सलामत माँ का साया,
सारी कायनात में है समाया।
समझे ना भगवान की माया,
प्यार का अमृत हमने पाया।
करो सम्मान माँ का हमेशा,
बढ़ाओ उसके जीवन की आशा।
सलामत रहो माँ के आँगन में
नहीं तो बिक जाओगे
इस दुनियादारी के बाजार में।