हम अभिनन्दन करते हैं
हम अभिनन्दन करते हैं


तिमिर का हो घना साया
चांदनी खिल ही जाती है
गुरू का हाथ हो सर पर
जिन्दगी बन ही जाती है
वो भाग्य विधाता कहलाते
वो राष्ट्र निर्माता बन जाते
ऐसे महान गुरूओं का हम
अभिनन्दन करते हैं .....
कच्ची माटी सा छात्र जीवन
गुरू मूरत बनाते हैं
कडी़ मेहनत और लगन से
खूबसूरत बनाते हैं
वो निर्भय मन के मालिक हैं
ज्ञान की लौ जलाते हैं
ऐसे महान गुरूओं का हम अभिनन्दन करते हैं.....
बेजान कहकर जिस पत्थर को
दुनिया ने अपमान किया
गुरूओं ने तराशा इस तरह
अनमोल हीरा बना दिया
उस बेजान पत्थर को
नई पहचान देते हैं
उन महान गुरूओं का हम अभिनन्दन करते हैं......