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Mamta Singh Devaa

Inspirational

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Mamta Singh Devaa

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हिंदी दिवस

हिंदी दिवस

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हिंदी दिवस …
अस्सी प्रतिशत भारतीय अपनी गरदन
शर्म से झुका कर रहे है मरदन ,
"हिंदी दिवस" वो भी भारत में 
जीना पड रहा है हमें इस ज़लालत में ,
सपने तक तो हम देखते है अंग्रेज़ी  में 
और आज पूरा दिन मानना पड़ेगा हमें हिंदी में ,
कमाल करते हैं यें..…. 
पहले तो अंग्रेज़ी की पिलाते है हमें घुट्टी 
फिर कहते है आज अंग्रेजी की है छुट्टी ,
एक दिन का मतलब आप समझते हैं
दिन के पुरे चौबीस घन्टे इसमे अटते हैं ,
हमारी मुश्किलों का इन्हें नहीं है अंदाजा 
हमारी नज़रों में घट जाएगा हमारा ही तकाज़ा ,
इनको नहीं हैं पता…… 
अंग्रेजी तो टिप - टाप मेम है 
हिंदी करती इसके सामने शेम है ,
आखिर कब तक…… 
साल भर में एक दिन "हिंदी दिवस"मनायेंगे ?
दिन - ब - दिन अपनी मातृभाषा को और छोटा करते जायंगे ,
हिंदी तो अब.…… 
माथे पर लगी बिंदी और तिलक के सामान है 
जो सिर्फ त्योंहारों पर लगाया जाता है 
और फिर उसके महत्व का बखान 
साल भर गाया जाता है ,
आओ इस नई पौध के माथे 
रोज़ लगाएं तिलक और बिंदी 
"ड़" के निचे बिंदी हम पढेंगें हिंदी 
ये इनकी तोतली भाषा में "हक़" से कहलवाएं 
अपनों में ही बेगानी हुई इस "हिंदी" को 
इसका सम्मान वापस दिलाये 
आने वाले नौनिहालों को बाइज्ज़त हिंदी पढ़ायें !!!

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा - 13 - 09 - 13 )

                      


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