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Sadhana B

Abstract

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Sadhana B

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हे फूल

हे फूल

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हे फूल तुम कितने खूबसूरत हो। तुम कितने खूबसूरत हो।तुमने छुपाए ना जाने कितने गम अपने अंदर।

कितनी नन्ही सी जिंदगी में ना जाने तुम्हें क्या क्या देना पड़ता है।


ना जाने तुम्हें कहां कहां ले जाते हैं अपने परिवार से दूर और एक ऐसी जगह पर भी ले जा सकते हैं जहां कोई फूल नहीं जाना चाहते हैं श्मशान घाट। कभी-कभी मंदिर और किसी-किसी के केश में तुम्हें लपेट दिया जाता है।


अगर कोई तुम्हारा आवाज सुन सकता तो ना जाने तुम्हारे कितने दुख सुन पाता। कितनी मुश्किलों से भरी हुई है तुम्हारी जिंदगी तुम चलती हो तकलीफ लेकिन बैठती हो खुशियां।


तुम्हारी खिलने से मैं लोगों के होठों पर हंसी आ जाती है ना जाने तुम्हारे परिमल से कितनों की दिन बन जाते हैं।

तुम अपने को

मल हो पर मरोड़ देते हैं तो मैं अपने रुकी ले हाथों से फिर भी तुम खामोश रहती हो और मेहकथे आती हो उन हाथों को जो तुम हां तुम को बेरहमी से पकड़ते हैं।


उनसे सीखने के लिए बहुत कुछ है तुम बिना कहे ही हमें कितना कुछ सिखा देते हो जितने वक्त है उतने वक्त में अपने मां-बाप का नाम को रोशन करना अपने होने का एहसास दिलाना अपना मूल्य समझाना और कई बार अपने मां के आंचल में ही दम तोड़ ना। 1 दिन की तुम्हारी जिंदगी सदियों तक याद रखने की यादें देती।


है फूल तुम इतनी खूबसूरत हो ना जाने कितने रास्ते हैं हर स्थिति में महका नासिक आते हो अपने दुख में भी दूसरों को देना सिखाती है। हे फूल तुम कितनी खूबसूरत हो।






© Sadhana.


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