हे नारी
हे नारी
हे नारी अबला नहीं
तू सबला है
दुखियारी लाचार नहीं तू
हर जीवन का सपना है..
जग जीवन को धारण करती
जैसे माँ तू दुर्गा है
सहनशक्ति का पार ना तेरा
जैसे माँ वसुंधरा है..
त्याग बलिदान की बात करें क्या
हर दुख तेरा अपना है
अपनी जान भी दाँव लगाती
ना होती किसी से तुलना है..
हर ज़िम्मेदारी तू संभालती
ना घर तेरे बिन चलता है
आत्मीयता का सबसे रिश्ता
हर कोई तेरा अपना है..
हर पीड़ा को अपनी छुपाती
चाहे छुपाने वाली ना घटना है
अप्रतिम सुंदरता देती
हर जीवन का तू सपना है..
घर-आँगन तू महकाती
घर, स्वर्ग तुम्ही ही से बनता है
खुशियों को तुम घर में लाती
हर कोई तेरा अपना है..