स्त्री तू पृथ्वी की धुरी है
स्त्री तू पृथ्वी की धुरी है
स्त्री तू जग की संचालिका है।
स्त्री तू संस्कृति की संवाहिका है।
स्त्री तू सभ्यता की समृद्धिका है।
स्त्री तू समाज की संयोजिका है।
स्त्री तू परिवार की संवृद्धिका है।
स्त्री तू मानव की सृजिका है।
स्त्री तू संतान की सेविका है।
स्त्री तू बालक की संरक्षिका है।
स्त्री तू पुरुष की सहचारिका है।
स्त्री तू नर की सहयोगिका है।
स्त्री तू पुरुष की निहारिका है।
स्त्री तू पुरुष जीवन की सुगंधिका है।
स्त्री तू परिवार की सुख समृद्धिका है।
स्त्री तू घर भर की परिचारिका है।
स्त्री तू परिवार की संवृद्धिका है।
स्त्री तू परिवार की मार्गदर्शिका है।
स्त्री तू विश्व की समन्वयिका है।
स्त्री तू संसार की पथ प्रदर्शिका है।
स्त्री तू ब्रह्माण्ड की संचालिका है।
स्त्री तू सृष्टि की निर्माणिका है।
तन मन धन से पूर्णतः समर्पित है नारी।
किन्तु वह न निरीह है न है कोई लाचारी।
यदि उसको किया गया दुखी और त्रस्त।
तो उसने प्रयुक्त कीं अपनी शक्तियां सारी।
और संसार से दुष्टों की सारी दुनिया संहारी।