नि: शब्द - प्रहरी
नि: शब्द - प्रहरी


हर एक सैनिक जो देश का पहरेदार है
उसकी ख़ामोशी ही काफ़ी असरदार हैं
वो निशब्द भी अपने कर्मों से
पूरे देश की आवाज़ है.
रेगिस्तान की झुलसतीं ग़र्मी हो या
हो खून जमा देने वाली
बर्फ़ीली चोटियाँ
चाहे हो बाढ़ या हो कोई आपदा
सबसे पहले ख़ुद को और अपने घरवालों
को भूल कर
देश को अपना बनाने वाला
अपनी हर कतरा -कतरा
लोगों के लिए सम्पर्पित करता
वो देश का सपूत !
देश की आन - बान और शान है
उसकी हर ज़ुबान उसका समर्पण है
अपने जूनूँ से
देशवसियों के दिलों को झँझोरता
और मर मिटने की गर्जना करता
सब कुछ न्योछावर करता
वो सिर्फ़ अपनी माँ का लाड़ला ही नहीं
देश का लाड़ला है
वो नि: शब्द रहकर भी
पुरी दुनिया में चिंगारी जगाने वाला.
देश के लिये मर मिटने की शिख देता
हमारी ओर आती हर गोलियों को अपने
सीने पे खाने वाला
कर्मों की जुब्बाँ सिखाने वाला
नि: शब्द जाँबाज़ पहरेदार है !