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Deepika Guddi

Abstract

4.0  

Deepika Guddi

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शुक्रिया :- दीया का

शुक्रिया :- दीया का

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दीवाली की सुबह - जब दीयों को देखा 

तो दिल में कसक सी उठी

कैसे कहूँ शुक्रिया उन दीयों का 

जिन्होंने कल रात ही खुद को जलाकर 

दुनिया को रोशनी दी है ..

इस पर हौले से ज़रा शरमायी हुई

सुर्ख़ लाल दीयों ने 

भी बड़े प्यार से कहा -


ये दुनिया का दस्तूर है साहब .!

रोशनी देने का इरादा अपना होता है 

तो जलाना भी खुद को पड़ेगा ..

फिर ये अदब की उम्मीद भी क्यूँ करें

बस ये तो मेहरबानी है ख़ुदा की 

और बड़प्पन है उस कुम्हार का जिसने

हमें ऐसा गढ़ा की आज इंसान ने 

भगवान के आगे हो या 

अंधेरी रातों में 

ख़ुशी हो या ग़म में 

हमें ख़ुद को जलाकर

लोगों को खुशियाँ देने कीं हमारी 

ज़रा सी कोशिश को दिल से नवाज़ा

शुक्रिया इस ख़ूबसूरत जहाँ और प्यार का ..!



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