हे! भारती के लाल
हे! भारती के लाल
हे! भारती के लाल तुम।
हो काल के भी काल तुम, हे! भारती के लाल तुम।।
झंझा निकलती व्यग्र हो,
ज्वाला धधकती उग्र हो,
बैरी मरे जो अग्र हो,
निःसृत करो असि-ढाल तुम, हे! भारती के लाल तूम।।
जब शत्रु का आतंक हो,
घाटी–धराधर–पंक हो,
लड़ते तुम्हीं निःशंक हो,
कर फैसला तत्काल तुम, हे! भारती के लाल तुम।।
जब शत्रु तुमको देखते,
तब युद्ध करने झेंपते,
थर-थर-थराथर काँपते,
जब-जब उठाते भाल तुम, हे! भारती के लाल तुम।।
हों क्रुद्ध जब दृग भींचते,
रिपु रक्त महि को सींचते,
मृत शत्रु के शव खींचते,
लगते बड़े विकराल तुम, हे! भारती के लाल तुम।।
तुम वीर हो, तुम धीर हो,
तुम हिमशिखर, पामीर हो,
निज देश हित गम्भीर हो,
रखते वतन का ख्याल तुम, हे! भारती के लाल तुम।।