हौसले
हौसले
बीत जाए न जिंदगी यूं ही उलझे सवालों में कहीं।
रुक जाए ना हौसले बीती बातो से कहीं ।
जुगनुओं की रोशनी में मुरझा न जाए कहीं।
कड़कती धूप में झुलस न जाए कहीं।
अड़चनों की दीवारों से ,
रोशन किस्मत भी देख ना पाए कहीं।
हवाओं की गुदगुदी का एहसास भी ना हो पाए कहीं ।
जब हो इतने सवाल जवाब भी मिल जाए यहीं।
मृगमरीचिका नहीं हकीकत बयां हो जाए अभी ।
सुकून के सागर में डूब कर,
शुक्राना मिज़ाज बना लें सभी ।
हाथों की लकीरें संवर जाए सही।
इंद्रधनुषी राहे बन जाए यूं ही ।
जीने का मंतव्य भी मिल जाए यहीं।