ritesh deo

Abstract

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ritesh deo

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मौन

मौन

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मौन होकर सुन लूँ तुमको

क्या सब अच्छा हो जायेगा ?

जो भी बोलोगी तुम मुझसे

क्या सब सच्चा हो जायेगा ?


तुम में मैं हूँ मुझमे तुम हो

कब ऐसा जीवन आयेगा

एक तरफ़ा संवाद हमारा

कितना दिन टिक पायेगा?


दिन हुआ था शाम ढले है

मिलने तुमसे अब निकले है

मिलन हमारा दो जीवन का

क्या प्यासा ही रह जायेगा ?


मौन होकर सुन लूँ तुमको 

क्या सब अच्छा हो जाएगा।।


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