हैरान हूँ मैं
हैरान हूँ मैं
हैरान हूँ मैं,
हैरान हूँ मैं ये देख कर
कि किस क़दर हूँ बदला मैं
तुझ से मोहब्बत कर
न दुश्मनों से है गिला
न है रफ़ीक़ों की ख़बर
न दुनिया से रहा कोई नाता
न है रस्मों की फ़िकर
ता उम्र रहा मैं गुलों से बेख़बर
मगर आलम ये है अब
कि दिल में तेरी मोहब्बत की महक लिए
गुंचा बना फिरता हूँ दर-ब-दर
हैरान हूँ मैं ये देख कर
कि तवज्जु न दी मैंने, किसी को खुद के सिवा
मगर नाज़ तेरे उठाने को
दिल है बेक़रार
हैरान हूँ मैं मोहब्बत-ए- करिश्मा देख कर
ख़ुदा की खुदाई से बढ़ कर लगे वफ़ा यार की
ऐ ख़ुदा कैसे करूँ इल्तिजा बख़्शीश की
कि हर साँस पे लेता हूँ, बस नाम यार का