ख़ौफ़
ख़ौफ़
खौफ़ज़दा हैं हम
उन आवाम के ठेकेदारों से
जो हर साँस पर सवाल रखें
और हर मुस्कराहट का हिसाब रखें
खौफ़ज़दा हैं हम
उन दोहरी सीरत वालों से
जो मीठी ज़बाँ के फरेब से
रिश्तों की नुमाइश करें
खौफ़ज़दा हैं हम
उन ख़्वाबों के सौदागरों से
जो अपने महल बनाने के लिए
उम्मीद और ऐतबार क़त्ल -ए -आम करें
खौफ़ज़दा हैं हम
उन मज़हब के पहरेदारों से
जो अल्लाह, नानक, राम, रहीम
अपने हिस्से में बाँट कर, इबादत का सौदा करें
खौफ़ज़दा हैं हम
मगर यकीं है उसके रहम- ओ- करम पर
जो महफूज़ रखे अपने बंदे को
और हर खौफ से बेख़ौफ़ करे