है नमन तुझको
है नमन तुझको
है नमन तुझको ऐ वीर सैनिक
कि तेरी शहादत से ही इस पार सैकड़ों घरों का दीपक जला है।
है नमन तुझको कि ये जानते हुए भी
कि जिस मां ने अपनी ममता को हरा,सौ - सौ बलाएं लेकर भेजा तुझको सीमा पर,
उसके आंचल का सूनापन तेरे जाने के बाद भला कब भरा है।
और तिरंगे में लिपटे अपने कुल के शव को देखकर भी, वो पिता जो गर्व से सीना ताने खड़ा है,
उसके बूढ़े कंधों को भी फिर कब कहां तुझसा कोई सहारा मिला है।
वो बहन जो राखी का थाल सजाए करती रहेगी तेरा इंतज़ार साल भर,
उसकी राखी के धागों का मोल भी भला फिर किसने दिया है।
है नमन तुझको कि तूने हीर - रांझे सी निभाई
इस देश से इश्क की हर एक रस्म,
ये जानते हुए भी कि तेरी उस वीर वधू के अश्रुओं को पोंछने, तुझसा कोई हमसफ़र ना तेरे बाद साथ उसके खड़ा है।
है नमन तुझको कि सीने में दबाए ये सारे जस्बात भी,
इस धरा की माटी को चूम, अपनी जान हथेली पर लिए, तू दुश्मनों को जीतने चला है।
है नमन तुझको...