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Archana Tiwary

Inspirational

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Archana Tiwary

Inspirational

हाउस वाइफ

हाउस वाइफ

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नौकरी छोड़ अब हाउस वाइफ बन गयी हूँ

दिनचर्या में ज्यादा फर्क तो न आया

मशीन की तरह अब दिनभर दौड़ती नही हूँ

करती हूँ काम बड़े आराम से 

बंदिश नही अब किसी बात की

अलार्म बन पंछी आ आ जगा जाते हैं

सुबह की मोहकता का मज़ा लेती हूँ

न बॉस की कीच कीच न समय की पाबन्दी

अब तो हर दिन इतवार सा जान पड़ता है

बस बदली नही जो वो *फ़िक्र* है

आज भी जाने अनजाने सबकी करती हूँ

रात में सोने से पहले ही

कल की योजना बना लेती हूँ

खाने में क्या बनाउंगी

कपडे कब धोना सुखाना है

बच्चों को नास्ते में क्या देना है

कोई बिल भरने की तारीख तो भूल नही गयी

ऐसी न जाने कितनी बातें अब भी

मन में चलती रहती है पर

खुश हूं आज हाउस वाइफ बन कर

समय पर अब मेरा अधिकार है

बगीचे में जब चाहा मन 

बैठ पौधों से बातें कर लेती हूँ

स्पर्श मेरा पाने को वे बेकरार रहते हैं

बेलों पर मोगरे के फूल खिल खिल के

अनेजानेवालों का स्वागत करते हैं

रंग बिरंगे खिले फूल ज़िन्दगी के

नए नए आयामों में रंग भरते हैं।


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