हाथों की लकीरें
हाथों की लकीरें
तनहा-तनहा है सारा जहान,
तनहा है ये सारा कारवाँ,
जब हौसला बुलंद हो तो
किस्मत भी होती मेहरबान।
सोच छोटी कितनी भी हो,
चारों तरफ बंदिशें कितनी भी हो,
काले बादल घने क्यों ना हो,
मेहनत रंग लाएगी,
फिर नई सुबह आएगी।
जालिम जमाना कितना भी हो,
पैरों में बँधी बेड़ियाँ जकड़ी भी हों,
एक दिन क्रांति घट जाएगी,
मेहनत रंग लाएगी,
बेड़ियाँ रास्तें बन जाएँगी।
एक विश्वास से उठती सोच,
सोच और पाने की चाह,
खोलती है हर वो बंद हुई राह।
हर किसी के जीवन में आते हैं वो पल,
जब कसमकस होती लम्हा-लम्हा;
जो धैर्य और हौसला रख पाए,
वही जीत जाए हर एक लम्हा।
हाथों में खूबी सबकी होती,
कोई बनजाए निपुण कारीगर तो कोई चित्रकार,
खुदा की रहमत सबमें है,
बस खुद को तय करना है,
कि बनना है कारीगर या कोई चित्रकार।
हाथ तो काले होंगे ही,
जब करनी हो कुछ खास,
जग में पहचान बनानी हो तो
चाहे मिटना पड़े बारम्बार,
खुद पे रखना होगा दृढ़ विश्वास।