हाथ मलती गयी
हाथ मलती गयी
आज तारों की महफिल गगन में नहीं
चांद गुम हो गया मोहतमिल मन में नहीं
कौन जाने किधर है खो गया रंग वो
हाथ मलती गयी मै अमन में नहीं।।
आज तारों की महफिल गगन में नहीं
चांद गुम हो गया मोहतमिल मन में नहीं
कौन जाने किधर है खो गया रंग वो
हाथ मलती गयी मै अमन में नहीं।।