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आचार्य आशीष पाण्डेय

Abstract

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आचार्य आशीष पाण्डेय

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हाथ मलती गयी

हाथ मलती गयी

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आज तारों की महफिल गगन में नहीं

चांद गुम हो गया मोहतमिल मन में नहीं

कौन जाने किधर है खो गया रंग वो

हाथ मलती गयी मै अमन में नहीं।।


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