STORYMIRROR

Harsh Singh

Inspirational

3  

Harsh Singh

Inspirational

हाथ कलम से

हाथ कलम से

1 min
49

ज़िन्दगी घुमाती रही मैं चलता रहा 

आँखें तपती रही मैं बर्फ लगाता रहा 

लोग ताने देते रहे मैं अनसुना करता रहा 

रिश्तेदार निराश करते रहे मैं आगे बढ़ता रहा 

अपने मुझे ठुकराते रहे मैं सबको अपनाता रहा 


उम्र भर लोग बाँधने में रहे मैं बुलंदी की

सीढ़ियां चढ़ता रहा 

दुनिया रातों को सोती रही मैं खुद को

जगाता रहा 

सब मुझे रोकने की कोशिश करते रहे

मैं बेफिक्र सा आगे बढ़ता रहा 


लोग एक दूसरे की जान लेते रहे

मैं मुर्दों में जान फूँकता रहा 

सब मतलबी बनते रहे मैं निस्वार्थ काम करता रहा 

अपने उधार लेते रहे मैं रकम चुकाता रहा 

ज़िन्दगी जंग सिखाती रही मैं अभ्यस्त होता रहा 

हाथ कलम से लिखता रहा मैं शायर कवि बनता रहा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational