हार ना मानो
हार ना मानो
कछुए हार ना, मानो तुम
हो ना जाना, थक कर गुम
माना जाना, दूर है
राह में थकना, ज़रूर है
हारना लेकिन, नहीं है राह
लक्ष्य की हो जब, सच्ची चाह
प्रथम कदम जब, लिया था तुमने
मन में तेरे, दृढ़ था निश्चय
फिर काहे अब, छोड़ा साहस
काहे मन में, तेरे संशय
भीतर झाँको, मन में फिर से
ढूँढ निकालो, शक्ति का स्त्रोत
फूटे फिर से, श्रम की धारा
आत्म शक्ति से, ओत-प्रोत
लक्ष्य दूर फिर, नहीं रहेगा
पास दिखेगा, हर एक सपना
गंतव्य पर पहुँचोगे, तुम जब
मिलेगा बिछड़ा, हर एक अपना !
