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Nitu Rathore Rathore

Abstract Romance Inspirational

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Nitu Rathore Rathore

Abstract Romance Inspirational

हार जाती है

हार जाती है

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तेरी नियत से अपने आप तू सँवार जाती हैं

हो इतनी खास ना हो पास पर निखार जाती हैं।


तराशा मैंने तुमको जब कलाकारी से अपनी ही

नजर ,नजरें मिलाकर तु नजर उतार जाती हैं।


तेरे मन से मेरे मन का रिश्ता मुझको लुभाता हैं

हजारों में कोई बस एक जिगर के पार जाती हैं।


मेरे जज़्बात से वाकिफ़ हो सब क्या बताऊँ मैं

मेरी यह साफ़गोई बात मुझको मार जाती हैं।


तेरी कशिश मेरी चाहत के कुछ तो नाम रहने दे

पूरी न हुई हो दास्ताँ ज़िन्दगी उधार जाती हैं।


कभी इंकार मिलता हैं कभी इक़रार मिलता हैं

मोहब्बत गर झमेलों में पड़े तो हार जाती हैं।


सभी ख्वाहिश मेरी तुममें दबी रह जायेगी "नीतू"

बिना आवाज़ के भी तु मुझे पुकार जाती हैं।


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