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Aditya Pathak

Abstract

5.0  

Aditya Pathak

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हार गया हूँ मैं

हार गया हूँ मैं

2 mins
421


हार गया हूँ मैं

जीवन के रणक्षेत्र में समय के

अधिष्ठाता के बाणों का

शिकार बन गया हूँ मैं

हार गया हूँ मैं।


मेरी हार स्वीकार है मुझे क्योंकि

यह मेरे संघर्ष से जीतकर आयी है,

इसकी कूटनीति सीख देगी सबको

अस्तु,सार्थक है मेरी हार।


पर संघर्ष जो मेरा था,अपना था,

प्रणम्य है

उसने आख़िरी साँस तक

लड़ाई जारी रख

कूटनीति इसकी भी थी

जिससे बढ़ सकायुद्ध का समय,


तथ्यों की तलवार पर

सच्चाई की सान चढ़ा

एडटा रहा मैं,

पर हार से पहले

सच्चाई दिखती कहाँ है


इसीलिए सत्य नहीं,

मैं हार गया हूँ

लड़ाई नहीं, मैं थम गया हूँ पर,

विश्वास है मुझे भविष्य पर

कोई ले उठेगा मेरी तलवार


विजय को दिल में बसाए

और यह लड़ाई

तब तक जारी रहेगी

जब स्वयं लक्ष्य

नत मस्तक न हो जाए।


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