STORYMIRROR

Praveen Gola

Abstract

4  

Praveen Gola

Abstract

हाँ मुझे प्यार है

हाँ मुझे प्यार है

1 min
177

हाँ मुझे प्यार है,

अपने देश भारत से,

इसकी भूमि है सबसे निराली,

इतनी उपजाऊ जो लाती खुशहाली।


मौसम यहाँ खिलते निराले,

हर मौसम के रँग मतवाले,

त्योहारों का रहता आना - जाना,

हर मास का दिवस सुहाना।


उन्नातिस राज्यों और सात केन्द्र

शासित प्रदेशों से घिरा हुआ,

मत पूछो अपना भारत कितना बड़ा,

हर राज्य की वेशभूषा अनेक,

फिर भी भारतवासी सब एक।


लोकतंत्र का यहाँ बोलबाला,

हर पाँच साल में चुने

अपना शासक दिलवाला,

मौलिक अधिकारों की

किसी को कमी नहीं,

किसी नागरिक से उसकी

नागरिकता छिनी नहीं।


फिर ऐसे अनोखे देश भारत से,

मैं भी क्यूँ ना करूँ प्यार ?

जिसकी रक्षा में हरदम,

रहते हैं सैनिक तैयार।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract