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siddhant goyal

Romance

3  

siddhant goyal

Romance

हां बहुत याद आ रहे हो तुम

हां बहुत याद आ रहे हो तुम

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हां बहुत याद आ रहे हो तुम,


ऐसा कैसा रूठ जाना था,मेरा 

जिसमे तुमने एक बार मानना भी ठीक ना समझा,


हां तुमसे की हुई वो हर एक बात याद आ हैं,मुझे

शायद तुम्हें अंदाजा भी नहीं कितना याद आ रहे हो तुम ।


याद हैं,तुमको कितने प्यार से मेरी उलझनों को सुलझा दिया करती थी तुम,मेरी हर परेशानियों को अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा बना चुकी थी तुम।


शायद भूल गई हो तुम,पर हां बहुत याद आ रहे हो तुम,


जहां दुनियां की बातों की फिकर ना थी,

जहां मेरी लिखी शायरी को मुझसे बेहतर पढ़ कर सुनाया करती थी,तुम 


ना जानें क्यूं ज़िन्दगी की हर परेशानियों को सुलझाने के लिए जब कोई नहीं हैं,मेरे पास

हां आज अरसे बाद ही सही बहुत याद आ रहे तुम।


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