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siddhant goyal

Others

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कृष्णा गांधारी सवांद

कृष्णा गांधारी सवांद

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आओ देवकी नंदन स्वागत में तुम्हारा करती हूं,

एक मां का आंचल तो देखो कैसे में दुलार तुम्हें करती हूं।


चारो और ये खुशियां तो देखो जीत आए हो तुम,

पूछो ज़रा हाल इस माँ का जहाँ से हार गये हो तुम।


इक पल में अरसा बदल गया ‌देखो ज़रा ये सैलाब क्यूं,

जीता धर्म का युद्ध था, चारों तरफ फिर ये विलाप क्यों।


मां दुख तुम्हारा समझ रहा गोविंद तुमसे कह रहा,

क्षमा प्रार्थी हूं, सदा ये आंतिम विनती कर रहा।


क्षमा किस दिल से करू ये सैलाब एक मां का हैं।

डूबेगी तेरी द्वारिका ये श्राप मेरा भी रहा।


गोविंद भी मुस्कुराते रहे बात ये सुन कर,

निष्फल ना होगा श्राप ये बात ये भी जान कर।


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