STORYMIRROR

Surendra kumar singh

Abstract

1  

Surendra kumar singh

Abstract

हालात की धड़कन एक मंदिर है

हालात की धड़कन एक मंदिर है

1 min
324

दिल मे जज़्बात की परछाइयों की बस्ती है,

सुर्ख होठों पर मचलते हुये मौसम की तरह।

एक छू लो तो रूठ जाता है

एक मिलते ही मुस्कराता है,

एक बैठा हुआ है मन्दिर में

एक खोया हुआ ख्यालों में।


दिल मे आवाज की सरगोशियों की सरगम है

एक झरने से निकलते हुये धुएं की तरह

एक मुश्किल से कोई बात कहा करता है

एक आवाज का हर जाम पिया करता है।


एक गढ़ता है नयी परिभाषा

एक हर व्याकरण मसलता है,

दिल में आवाज की परछाइयों का जंगल है

एक भटके हुये राही के मुकद्दर की तरह।

एक दिन चाँद ने किरणों के हाथ खत भेजा

एक ने तारों की गुंथी हुयी माला,

भेजी एक आवाज का हथियार लिये बैठा है

एक निकले हुये अल्फाज़ से डर जाता है,

दिल मे हालात की धड़कन का एक मंदिर है

एक साजिश में ढहाए गये ढांचे की तरह।


एक पल आग की मौजों में मुस्कराता है

एक मौजों के नजारे से सिहर जाता है।

एक छिप छिप कर वार करता है

एक का वार उलट जाता है।

दिल मे तूफान के साये का एक सपना है

एक मुफ़लिस के जलाये गये चमन की तरह।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract