हाल ए बयान
हाल ए बयान
अपना
हाल
कैसे
बताऊं
आंखों के आंसू
एकाकी में
कितना गिराऊ
दर्दे दिल को
कैसे
समझाऊं
शब्दों में
अधूरापन है
भीतर के
अहसास को
मैं कैसे
बताऊं
मेरे दिल में
बेहद
सूनापन है
सागर से भी
गहरा दर्द है
उस हाल को
मैं कैसे
परिभाषित करूं
दर्द ए दिल का
हाल ए बयान
कैसे करूं
समझ नहीं मैं पाऊं ।