प्रेम की प्रकृति
प्रेम की प्रकृति
खींचते
खींचते
लंबा
होते
गया
एक
समय
ऐसा
आया
की
टूट
गया
लेकिन
प्रेम
में
ऐसा
नहीं
होता
असीमित
खिंचाव
के
बाद
भी
प्रेम
टूटता
नहीं
छूटता
नहीं
पूर्ववत
बना
रहता
है।
खींचते
खींचते
लंबा
होते
गया
एक
समय
ऐसा
आया
की
टूट
गया
लेकिन
प्रेम
में
ऐसा
नहीं
होता
असीमित
खिंचाव
के
बाद
भी
प्रेम
टूटता
नहीं
छूटता
नहीं
पूर्ववत
बना
रहता
है।