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Gurudeen Verma

Abstract

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Gurudeen Verma

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क्या वैसी हो सच में तुम

क्या वैसी हो सच में तुम

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चाहता हूँ मैं जैसा साथी, क्या वैसी हो सच में तुम।

क्या मुझको खुश रख सकती हो,हमेशा सच में तुम।।

चाहता हूँ मैं जैसा साथी------------------।।


यह जो मेरी हस्ती है , यह अपने दम पर बनाई है।

यह जो मेरी दौलत है, यह मेरे लहू की कमाई है।।

क्या मुझको आबाद रख सकती हो, ऐसे सच में तुम।

चाहता हूँ मैं जैसा साथी -----------------------।।


जो बचे हैं ख्वाब मेरे, क्या उनको तुम करोगी पूरे।

बोलो तुम नहीं दिखावोगी, कभी भी मुझको नखरे।।

मानोगी क्या मेरी हर बात, दिल से बोलो सच में तुम।

चाहता हूँ मैं जैसा साथी-----------------।।


किसी मुसीबत में अब जीना, मैं नहीं चाहता कभी।

अपनी खुशी का सौदा किसी से, मैं नहीं चाहता कभी।।

जैसा मैं तुमको रखूँगा, वैसे रहोगी क्या सच में तुम।

चाहता हूँ मैं जैसा साथी ----------------------।।


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