Sanjay Jain

Abstract

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Sanjay Jain

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गुरु सेवा

गुरु सेवा

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गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे,

चरणों में अपने, हमको बैठा लो।

सेवा में अपनी, हमको लगा लो, 

गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे।


मुझको अपने भक्तो की, दो सेवादारी।

आयेंगे सत संघ सुनने , जो भी नर नारी।

मैं उनका सत्कार करूँगा,  

वंदन बारम्बार करूँगा।।

गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे, 

चरणों में अपने, हमको बैठा लो।


मुझको अपने रंग में, रंग लो तुम स्वामी।

मैं अज्ञानी मानव हूँ, तुम अन्तर्यामी।

मेरे अवगुण, तुम बिसरा दो, 

मन में प्रेम की, ज्योत जला दो।।

गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे,  

चरणों में अपने, हमको बैठा लो।

सेवा में अपनी, हमको लगा लो, 

गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे।


गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे, 

चरणों में अपने, हमको बैठा लो।।



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