गुलमोहर
गुलमोहर
तुम छोड़ गऐ थे गुलमोहर,
कह कर कि जब लाल होगा
तो वापस आओगे।
गुलमोहर लाल हुआ नहीं कि,
मैं सफेद हो गई ,
और तुम आऐ या नहीं
क्या मालूम?
शायद आऐ,
आऐ जब गुलमोहर हवा हुआ,
तुम आऐ।
मैं तो पड़ी थी ठंडी कही,
बेख़बर, बेहोश्।
फिर भी,
ना जाने क्यों?
गुलमोहर ने कभी
माफ़ी नहीं दी,
ना तुम्हे,
ना मुझे।
ना जाने क्यों?