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sargam Bhatt

Abstract

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sargam Bhatt

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गुलाबी होंठ

गुलाबी होंठ

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होंठ चमक कर गुलाबी बन गए,

मेरी याद में वो शराबी बन गए।


सोच रहे थे मैं उनकी किस्मत में हूं,

किस्मत पर इतराते वो नवाबी बन गए।


जब पता चला मिलने से पहले बिछड़ जाऊंगी,

मुझको मनाने में वो हाजिर जवाबी बन गए।


उन्हें पता लगा मैं नॉन वेजिटेरियन हूं,

मेरी खिदमत में वो कबाबी बन गए।



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